सविधान
नियम और विनियम
01. समिति का नाम -
जाम्भाणी साहित्य अकादमी
02. सदस्यता -(क) कोई भी ऐसा व्यक्ति समिति का सदस्य बन सकता है जो स्वस्थ मस्तिष्क, ख्याति प्राप्त और अच्छे आचरण वाला हो और साहित्य के क्षेत्र विशेषकर जाम्भाणी साहित्य और सबदवाणी में जिसे रुचि और ज्ञान हो। जो व्यक्ति समिति के अग्रलिखित नियमों और शर्तों को पूरा करता हो वह कार्यकारिणी के अनुमोदन के बाद सदस्य बन सकता है। नियम और शर्तें हैं-
- वह व्यस्क (21 साल का) हो चुका हो।
- वह समिति के उद्देश्यों और लक्ष्यों से सहमति रखता हो।
- समिति की उपविधियों में वर्णित सदस्यता शुल्क अदा कर चुका हो।
- वह दिवालिया या अस्वस्थ मन का न हो और उसे किसी भी अपराध जिसमें नैतिक अधमता या एक साल या इससे अधिक के कारावास के साथ दंडनीय अपराध भी शामिल है, का दोषी न पाया गया हो और सजा न हुई हो।
- उसने सदस्यता सूची या निर्धारित प्रपत्र पर हस्ताक्षर किए हों और वह गुरु जम्भेश्वर जी के उपदेशों और सिद्धांतों में विश्वास रखता हो।
- केवल दान किसी व्यक्ति को समिति का सदस्य नहीं बनाएगा और न ही दान से दानदाता को समिति का सदस्य माना जाएगा।
(ख) सदस्यता के प्रकार - आजीवन सदस्य, साधारण सदस्य, मानद सदस्य और विशेष आमंत्रित सदस्य समिति के सदस्यता के प्रकार होंगे। आवश्यकतानुसार आम सभा सदस्यता के प्रकार की संख्या में बदलाव कर सकती है।
03. प्रवेश शुल्क और अंशदान -साधारण सदस्यता के लिए अंशदान 100 रूपए (सौ रूपए) प्रवेश शुल्क और 5100 रूपए ( इक्यावन सौ रूपए ) सदस्यता शुल्क के लिए देने होंगे (हर पांच वर्ष बाद इसका नवीनीकरण कराना होगा)। आजीवन सदस्य को 500 रूपए (पांच सौ रूपए) प्रवेश शुल्क और 11000 रूपए ( ग्यारह हजार रूपए ) सदस्यता शुल्क के रूप में चुकाने होंगे और ये दोनों ही शुल्क जीवन में केवल एक बार देने होंगे। मानद सदस्यों और विशेष आमंत्रित सदस्यों को प्रवेश शुल्क और सदस्यता शुल्क नहीं देना होगा परंतु इन दोनों ही प्रकार के सदस्यों को वोट डालने और चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं होगा। साधारण सभा प्रवेश और सदस्यता शुल्क की दर और प्रकार में परिवर्तन कर सकती है।
04. सदस्यता समाप्ति और निष्कासन -कार्यकारिणी समिति के पास निम्नलिखित आधारों पर किसी भी सदस्य की सदस्यता समाप्त करने और उसके निष्कासन का अधिकार होगा। ये आधार हैं-
- मृत्यु होने पर।
- लिखित त्यागपत्र देने पर।
- अगर सदस्य असामाजिक गतिविधियों में शामिल हो।
- किसी न्यायालय द्वारा अपराधी घोषित कर दिया गया हो।
- समिति के लक्ष्यों और उद्देश्यों के विरूद्व किसी भी तरह का दुष्प्रचार करने का दोषी पाया जाता हो।
- नियत तारीख से तीन महीने तक सदस्यता शुल्क का भुगतान करने में असफल रहा हो।
- बिना कोई सन्तोषजनक कारण बताए लगातर तीन बैठकों में अनुपस्थित रहा हो।
- नियम और विनियमों को तोड़ा हो और कार्यकारी समिति के निर्णयों की पालना न कर रहा हो।
- ऐसा कोई अपराध या कार्य किया हो जिससे उसका समिति का सदस्य बनाए रखना मुश्किल हो गया हो।
- सदस्यता की शर्तें और नियमों को पूरा न कर रहा हो और धोखाधड़ी करके सदस्यता हासिल की हो।
नोट: कार्यकारिणी द्वारा किसी सदस्य की सदस्यता समाप्त करने के निर्णय की सूचना सम्बन्धित सदस्य को देनी होगी।
05. आम सभा (संरचना) -समिति की एक आम सभा होगी जो समिति के उपनियमों और अधिनियम के अनुबंधों और नियमों के अनुसार बने सभी सदस्यों से मिलकर बनेगी। साधारण सभा समिति के उपनियमों और अधिनियम के अनुबंधों और नियमों के प्रावधानों का पालन करेगी।
06. आम सभा की बैठक और सूचना -
(क) साधारण सभा की आवश्यकतानुसार एक वार्षिक बैठक होगी। हालांकि एक वित्तवर्ष में साधारण सभा की एक बैठक आवश्यक होगी जिसमें समिति का लेखा परीक्षण व वार्षिक प्रतिवेदन सदस्यों के अनुमोदन हेतु प्रस्तुत किया जाएगा। बैठक की तारीख और स्थान का निर्धारण समिति का अध्यक्ष या फिर महासचिव द्वारा अध्यक्ष से विचार-विमर्श कर किया जाएगा।
(ख) हर बैठक के लिए नियत तारीख से 15 दिन पहले सूचना दी जायेगी।
(ग) सूचना पत्र में बैठक की तारीख, स्थान और उद्देश्य का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए और अगर किसी विशेष प्रस्ताव पर विचार-विमर्श का सुझाव है तो ऐसे प्रत्येक की कार्यसूची की एक प्रति भी सूचना के साथ संलग्न करनी होगी।
(घ) पंजीयन प्राधिकरण अधिनियम के प्रावधानों और नियमों के तहत किसी अधिकारी को ऐसी बैठकों में पर्यवेक्षक के रूप में उपस्थित रहने के लिए नियुक्त कर सकता है।
(ड़) बैठक का कोरम पूरा करने के लिए मताधिकार सम्पन्न 1/3 सदस्यों का बैठक में उपस्थित होना आवश्यक होगा।
(च) प्रत्येक सदस्य का एक ही वोट होगा और वह इसका प्रयोग केवल स्वयं ही करेगा। सभी निर्णय बहुमत के आधार पर होंगे।
(छ) समिति / साधारण सभा / कार्यकारिणी की बैठकों की कार्यवाही को महासचिव या उसके निर्देशानुसार किसी अन्य सदस्य द्वारा लिखा जायेगा।
(क) प्रत्येक सदस्य का यह विशेषाधिकार होगा की वह समिति की बैठकों और गतिविधियों में भाग ले सकेगा।
(ख) उसे वोट डालने व चुनाव लड़ने का अधिकार होगा और समिति उसको अपने मताधिकार के प्रयोग करने से वंचित नहीं करेगी।
(ग) पहचान-पत्र या अधिकार पत्र आदि प्राप्त करने का अधिकार होगा।
(क) साधारण सभा के सदस्य कार्यकारिणी के सदस्यों और पदाधिकारियों का चुनाव करेंगे।
(ख) ऐसे किसी भी विषय, जिसके बारे में समिति का जानना जरूरी है, के बारे में समिति को सूचना देना।
(ग) वार्षिक कार्यक्रम और नीतियों का निर्माण करना।
(घ) समिति के कार्यों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संबंधित विषयों पर चर्चा करना और उनका निवारण करना।
(ड़) समिति का वार्षिक बजट पारित करना।
(च) समिति के वार्षिक लेखा परीक्षण के लिए एक योग्य संपरीक्षक / चार्टर्ड अकाउंटेंट की नियुक्ति करना।
(छ) ऐसे किसी भी कार्य पर विचार करना जो कार्यकारिणी द्वारा भेजा गया हो।
(ज) आम सभा समिति के लक्ष्यों और उद्देश्यों की पूर्ति हेतु भारत में कहीं भी मुख्य या उप-कार्यालय खोल सकेगी।
(झ) अनुबंधों के अनुसार आम सभा समिति के हित में कोई भी निर्णय ले सकती है।
(ट) कार्यकारिणी पर लागू होने वाले प्रावधान यथोचित परिवर्तन सहित साधारण सभा पर भी लागू होंगे।
(क) संख्या: कार्यकारिणी के सदस्यों की संख्या न्यूनतम ग्यारह (11) और अधिकतम संख्या उन्नतीस (29) होगी।
(ख) कार्यकाल: कार्यकारिणी का कार्यकाल पांच वर्ष का होगा। कार्यकारिणी का सदस्य अपने चुनाव की तारीख से पांच साल तक अपने पद पर रह सकता है। वह पुन: निर्वाचित होने का अधिकारी भी होगा। कार्यकारिणी द्वारा कोई अन्य निर्णय नहीं लिया जाता है तो कार्यकारिणी का सदस्य अपने पद पर अपने कार्यकाल की समाप्ति के बाद भी तब तक रह सकता है जब तक की उसके उतराधिकारी का चुनाव नहीं हो जाता।
(ग) बैठक: जब भी आवश्यक होगा कार्यकारिणी की बैठक आयोजित की जा सकेगी। हालांकि अध्यक्ष द्वारा बुलाने पर या कार्यकारिणी के 1/3 सदस्यों के लिखित मांग करने के लिए 30 दिन के भीतर अति आवश्यक बैठक का आयोजन होगा। यह भी प्रावधान है कि कार्यकारिणी बैठक हर तिमाही पर आवश्यक रूप से होगी और साल में इसकी चार बैठकें होना अनिवार्य होगा। कार्यकारिणी की बैठक की सूचना सदस्यों और पदाधिकारियों को महासचिव द्वारा सात दिन पहले दी जाएगी।
(घ) गणपूर्ति: कार्यकारिणी के 1/3 सदस्यों की व्यक्तिगत उपस्थिति से बैठक की गणपूर्ति होगी।
(ड़) आवश्यक बैठक: आम सभा के एक तिहाई सदस्यों की लिखित मांग करने के 45 दिन के भीतर आम सभा की एक अति आवश्यक बैठक का आयोजन करेगी। बैठक के लिए दिए जाने वाले नोटिस में बैठक का कारण और एजेंडा देना होगा। वर्णित मांग के अनुसार अगर कार्यकारिणी बैठक बुलाने में असफल रहती है तो पंजीकरण प्राधिकरण अधिनियम के प्रावधानों और नियमों के अनुसार बैठक आहूत कर सकती है। अधिनियम के प्रावधानों और नियमों के मुताबिक अति आवश्क बैठक की कार्यवाही की एक प्रति पंजीयन प्राधिकरण को भेजनी होगी।
कार्यकारिणी की शक्तियों की व्यापकता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, समिति के उद्देश्यों के लिए आवश्यक समझकर या जो इसके उद्देश्यों को कार्यान्वित करने के प्रयोजन के लिए समीचीन होगा, कार्यकारी समिति निम्नलिखित शक्तियों का प्रयोग करेगी-
(क) समिति के सम्पूर्ण कामकाज का प्रबंध और प्रशासन कार्यकारिणी करेगी।
(ख) समय-समय पर आवश्यकतानुसार समिति के नाम पर राष्ट्रीयकृत बैंक या किसी अन्य संस्थान में खाता खुलाएगी। अध्यक्ष, महासचिव और कोषाध्यक्ष में से कोई दो ऐसे खाते या खातों का संचालन करेंगे। समिति की सारी आय को समिति के नामित बैंक खाते में रखा जाएगा। कार्यकारी समिति विभिन्न पदाधिकारियों के पास रहने वाली नकद राशि की सीमा का निर्धारण करेगी।
(ग) समिति की गतिविधियों के क्रियान्वयन पर होने वाले खर्च का भुगतान करेगी और ऐसे ट्रस्टों, समिति या संगठनों, जिनके उद्देश्य समिति के उद्देश्यों के समान है, को समिति की निधि से सहयोग करेगी।
(घ) समय-समय पर कार्यकारिणी द्वारा निर्धारित क्रियाकलापों के लिए अगर शीघ्र ही समिति की निधि की आवश्यकता न हो तो इन्हें निवेश / जमा कराया जा सकेगा और यह कार्य वैधानिक प्रतिबंध के अधीन होगा।
(ड़) समिति के कार्यों के लिए राशि उधार ले सकेगी और अगर आवश्यक हो तो समिति की सम्पति पर गृहाणाधिकार बना सकती है।
(च) समिति के सभी वर्गों के कर्मचारियों को नियुक्त कर सकती है और विवेक से हटा और निलंबित कर सकती है और उनकी शक्तियों और कर्तव्यों का निर्धारण कर सकती है तथा उनका पारिश्रमिक और कार्यकाल निर्धारित कर सकती है।
(छ) कार्यकारी समिति किसी भी ऐसे ख्याति प्राप्त व्यक्ति को, जिसका ज्ञान और रुचि जाम्भाणी साहित्य, इतिहास या संस्कृति आदि के क्षेत्र में है, को मानद सदस्य या विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में निर्धारित सदस्यता शुल्क लेकर या नि:शुल्क नियुक्त और पदनामित कर सकती है।
(ज) कार्यकारिणी प्राप्त किसी भी रिपोर्ट, समिति या विशेषज्ञ की सलाह, त्यागपत्र, शिकायत या आवेदन से संबंधित विषयों पर विचार करेगी और उनका निर्णय करेगी।
(झ) कार्यकारिणी संविधान संशोधन का प्रारूप और अन्य प्रस्तावों को तैयार करेगी, विचार और निर्धारण करेगी तथा इन पर साधारण सभा का अनुमोदन प्राप्त करेगी।
(ञ) किसी भी छात्रवृत्ति / अनुदान की प्रकृति, संख्या और राशि का निर्धारण कार्यकारिणी द्वारा किया जाएगा।
(ट) किसी भी कर्मचारी, सदस्य, अन्य व्यक्तियों / विशेषज्ञों या समिति को देय वेतन, पारिश्रमिक, टीए/डीए और अन्य भत्तों का निर्धारण कार्यकारिणी द्वारा किया जाएगा।
(ठ) कार्यकारिणी योजना, कार्यों और कार्यक्रमों का निर्माण और क्रियान्वयन करेगी।
(ड) कार्यकारी समिति किसी भी व्यक्ति या विशेषज्ञ को आर्थिक सलाहकार, विधि सलाहकार, विषय विशेषज्ञ, प्रवक्ता, प्रबंधक, कार्यालय सचिव समिति की आवश्यकतानुसार नियुक्त कर सकती है।
(ढ) कार्यकारिणी के अध्यक्ष व पदाधिकारी आम सभा के भी अध्यक्ष व पदाधिकारी होंगे।
- अध्यक्ष : एक
- उपाध्यक्ष : तीन
- महासचिव : एक
- सचिव : एक
- संगठन सचिव : एक
- कोषाध्यक्ष : एक
- कार्यकारी सदस्य : नौ
समिति की आम सभा कार्यकारिणी के पदाधिकारियों (क्रम संख्या एक में वर्णित अध्यक्ष को छोडकर) की संख्या को घटा या बढा सकती है। समिति के सभी पदाधिकारियों का चुनाव आम सभा में होगा। किसी सदस्य या पदाधिकारी की बैठक से अनुपस्थिति की स्थिति में उसकी शक्तियों और कार्यो का प्रत्यार्पण अन्य सदस्य को कार्यकारिणी कर सकती है।
12. पदाधिकारियों की शक्तियां, कार्य और दायित्व -
(i) अध्यक्ष:
जाम्भाणी साहित्य व जंभवाणी के क्षेत्र में उत्कृष्ट ज्ञान और अनुभव रखने वाला व्यक्ति ही समिति का अध्यक्ष होगा, जिसकी शक्तियां, कार्य और दायित्व अग्रलिखित होंगे:-
(क) वह साधारण सभा, कार्यकारिणी और अन्य उपसमितियों की बैठकों की अध्यक्षता करेगा।
(ख) बैठक में किसी भी विषय पर मत पड़ने की स्थिति में (चुनाव को छोडकर) अगर दोनों पक्षों को बराबर-बराबर मत मिलते हैं तो उसे एक अतिरिक्त / निर्णायक मत डालने की शक्ति होगी।
(ग) अध्यक्ष के पास किसी भी कार्यवाही या बैठक के एजेंडे में किसी भी विषय या मुद्दे को शामिल करने की शक्ति होगी।
(घ) वह समिति के निमित्त सभी महत्वपूर्ण दस्तावेजों / पत्रों पर हस्ताक्षर करेगा, हालांकि वह इस कार्य हेतु महासचिव को अधिकृत कर सकता है।
(ड़) वह अन्य पदाधिकारियों और विभिन्न समितियों, अगर है तो, के कार्यों का निरीक्षण और पर्यवेक्षण कर सकेगा।
(च) वह समिति के समुचित कार्यकरण के लिए उत्तरदायी होगा और उसका सम्पूर्ण प्रभारी होगा। वह ऐसे सभी अधिकारों का उपयोग करेगा जो आम सभा या कार्यकारिणी द्वारा प्रदत्त हो।
(ii) उपाध्यक्ष :
उपाध्यक्ष अध्यक्ष के सहायक के रूप में कार्य करेंगे। अध्यक्ष की अनुपस्थिति में अध्यक्ष का कार्यभार उपस्थित उपाध्यक्षों में से वरिष्ठतम उपाध्यक्ष निर्वहन करेगा।
(iii) महासचिव:
(क) वह समिति का प्रतिनिधित्व करेगा।
(ख) वह सभी दस्तावेजों जैसे कार्यवाही पंजिका, सदस्यों की पंजिका, कार्यवृत पुस्तक आदि तैयार करेगा और उन्हें संभालकर रखेगा।
(ग) वह समिति के निमित्त सभी पत्राचार करेगा।
(घ) वह साधारण सभा और कार्यकारी समिति की स्थान और तिथि आदि की सूचना अध्यक्ष के निर्देशानुसार देगा।
(ड़) वह समिति के निमित्त कोई अनुबंध पत्र या दस्तावेज हस्ताक्षरित करेगा और अन्य वे कार्य निष्पादित करेगा जो की उसे अध्यक्ष द्वारा सौंपे जाएंगे।
(च) वह समिति की चल और अचल सम्पत्ति को अपने अधिकार में रखेगा और उनका रख रखाव करेगा और सभी दस्तावेज, रजिस्ट्र और समिति के स्वामितत्व से संबंधित अन्य कीमती कागजात रखेगा।
(छ) समिति के कर्मचारियों के आम निरीक्षण और प्रशासनिक नियंत्रण का दायित्व महासचिव का होगा।
(ज) वह वार्षिक रिपोर्ट और अन्य जरूरी रिपोर्ट तैयार करेगा और इन्हें जैसा भी आवश्यक होगा कार्यकारिणी या आम सभा की बैठक में प्रस्तुत करेगा।
(झ) वह प्रत्येक बैठक का लिखित ब्यौरा तैयार करेगा और उपस्थित सदस्यों के हस्ताक्षर कराएगा।
(iv) सचिव:
वह महासचिव की सहायता करेगा और महासचिव की अनुपस्थिति में उसके कार्यों का निष्पादन करेगा।
(v) संगठन सचिव:
समिति या कार्यकारिणी द्वारा निर्धारित नीतियों के अधीन संगठन या समिति को मजबूती प्रदान करने और विस्तार देने का कार्य करेगा।
(vi) कोषाध्यक्ष:
(क) समिति की सभी निधियां और प्रबंधन कोषाध्यक्ष की देखरेख में होगा।
(ख) समिति के निमित्त प्राप्त किये गए या खर्च किये गए सभी धन का लेखा जोखा कोषाध्यक्ष द्वारा रखा जाएगा।
(ग) कोषाध्यक्ष कार्यकारिणी के निर्देशानुसार राशि खर्च करेगा।
(घ) वह सदस्यों और आम जनता से चंदा, उपहार, अनुदान, सहायता और दान आदि प्राप्त करेगा और वह समिति के लेखा, शुल्क, वेतन और अन्य खर्चों, नकदी पुस्तक, रसीद पुस्तक और काउंटर फाइल का सही और सत्य रिकार्ड रखने के लिए उत्तरदायी होगा।
(ड़) वह लेखाओं के वार्षिक विवरण तैयार करवायेगा और कार्यकारिणी व आम सभा के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए उत्तरदायी होगा तथा आयकर रिटर्न के सभी दस्तावेज तैयार करेगा।
(vii) कार्यकारिणी सदस्य:
कार्यकारिणी के सदस्य समिति के प्रतिदिन के कार्यो में अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों की सहायता करेंगे।
13. पुन: प्रवेश -किसी भी निष्कासित सदस्य को कार्यकारिणी / आम सभा के फैसले के आधार पर पुन: प्रवेश दिया जा सकता है, बशर्ते कि वह समिति की सभी बकाया राशि का भुगतान कर दे। प्रवेश अथवा पुन: प्रवेश पाने वाले व्यक्ति को फोटोयुक्त पहचान पत्र समिति की तरफ से जारी किया जाएगा। कार्यकारिणी किसी भी सदस्य को सदस्यता से इन्कार कर सकती है, बशर्ते कि कार्यकारिणी ऐसे इन्कार की वजह बताएं। पीडि़त व्यक्ति द्वारा दायर समीक्षा आवेदन पर कार्यकारिणी विचार कर सकती है और अपने पहले वाले निर्णय पर कार्यकारिणी पुन: विचार भी कर सकती है।
14. अपील -कार्यकारिणी के फैसलों के खिलाफ सभी याचिका आम सभा के समक्ष दायर की जानी चाहिए। आम सभा का फैसला अंतिम होगा। यदि याचिका रद्द की जाती है तो उसका कारण संबंधित व्यक्ति को भी बताया जाएगा।
15. रिक्तियां भरना -कार्यकारिणी के किसी सदस्य की मृत्यु, त्यागपत्र या सदस्यता समाप्ति के कारण रिक्त हुए पद को शेष समय के लिए भरने हेतु कार्यकारिणी बहुमत से किसी व्यक्ति का मनोनयन कर सकेगी, जिसका आम सभा से अनुमोदन अनिवार्य होगा।
16. चुनाव -साधारण सभा की बैठक में इसका अध्यक्ष, अन्य सभी पदाधिकारी और कार्यकारिणी के सदस्य चुने जाएंगे। यह चुनाव प्रत्येक पांच वर्ष के बाद गुप्त मतदान द्वारा करवाया जायेगा या सर्वसम्मति से भी हो सकता है। चुनाव में कार्यकारिणी द्वारा यथा समय अनुमोदित मतदाता सदस्य ही भाग लेंगे, जो समिति द्वारा निर्धारित तिथि को होंगे, नियत तिथि से पहले चुनाव को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। चुनाव सम्पन्न करवाने हेतु कार्यकारिणी समिति के सदस्यों में से एक तीन सदस्यीय तदर्थ चुनाव समिति गठित करेगी जिनमें से एक अध्यक्ष व दो सदस्य होंगे। यह तदर्थ समिति अथवा इसके द्वारा अधिकृत कोई भी व्यक्ति/प्रशासक चुनाव से एक महीने पहले वोट देने के योग्य लोगों की सूची प्रकाशित और जारी करेगा। इससे असंतुष्ट व्यक्ति इस सूची के प्रकाशन के 10 दिन के अंदर-अंदर इस चुनाव समिति के पास अपनी याचिका दायर कर सकते हैं। चुनाव समिति का निर्णय अंतिम रहेगा। चुनाव के संचालन के लिए प्रावधानों के नियम एवं शर्तों के अनुसार कार्यकारिणी द्वारा एक पर्यवेक्षक और रिटर्निंग अधिकारी की भी नियुक्ति की जाएगी। नव निर्वाचित कार्यकारिणी / पदाधिकारी चुनाव के बाद जल्दी से जल्दी अथवा पहले वाली कार्यकारिणी के पांच साल पूरे होने पर, जो भी बाद में हो, अपना कार्यभार संभालेंगे। चुनाव और अन्य संबंधित मामलों पर किसी भी विवाद की स्थिति में तदर्थ चुनाव समिति का निर्णय अंतिम होगा।
17. आय के स्रोत -समिति को प्राप्त प्रवेश शुल्क, सदस्यता शुल्क और सदस्यों से प्राप्त चंदा, पूंजी फंड, उपहार, दान, विशेष सहयोग, सरकारी, अर्धसरकारी चैरिटेबल ट्रस्टों, संस्थानों, संस्थाओं और अन्य अनुमोदित और प्राधिकृत संगठनों सेे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से समिति के हित के लिए प्राप्त उपहार , सहायता और पुस्तकों व अन्य सहायक सामग्री के प्रकाशन और विक्रय से प्राप्त आय समिति की आय के स्रोत होंगे।
18. वित्त वर्ष -समिति का लेखा प्रत्येक वर्ष एक अप्रैल से इकतीस मार्च तक तैयार किया जाएगा।
19. लेखा परीक्षण -समिति के लेखा का वार्षिक लेखा-परीक्षण एक योग्य लेखा संपरीक्षक या चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा किया जाएगा, जिसे समिति लेखा परीक्षक के रूप में नियुक्त करेगी।
20. निधियां और लेखा -
(क) बैंक खाता अध्यक्ष, महासचिव और कोषाध्यक्ष मे से किन्हीं दो पदाधिकारियों के हस्ताक्षरों से संचालित होगा।
(ख) समिति की निधियों का निवेश किया जाएगा और ऐसी ही सम्पतियों में निवेश रखा जाएगा जिसकी आज्ञा आयकर अधिनियम की धारा 11 (5) या आयकर अधिनियम 1961 के अन्तर्गत है, उस समय प्रवृत अधिनियम के अन्य प्रावधान देते हैं। कार्यकारी समिति समय-समय पर ऐसे निवेश को बदलने, हस्तातंरण करने और परिवर्तन करने के लिए अधिकृत है और समिति ये सब आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के अनुरूप और समिति के हित में करेगी।
(ग) समिति को अपनी निधियों के अंशों को खर्च करने की शक्ति अधिनियम के प्रावधानों और नियमों के तहत बनी समिति की उपविधियों के अनुसार होगी। समिति चल और अचल सम्पति के विक्रय, हस्तांतरण और दान करने में सक्षम होगी।
(घ) समिति के किसी भी सदस्य को किसी प्रकार का मानदेय या पारिश्रमिक नहीं दिया जाएगा। हालांकि, किसी भी सदस्य को यात्रा भत्ता (टीए) और दैनिक भत्ता (डीए) समिति के कार्यों के संबंध में दिया जा सकता है। इसके अलावा समिति किसी व्यक्ति को उसकी अल्पकालिक या पूर्णकालिक रोजगार के लिए पारिश्रमिक, वेतन या मानदेय का भुगतान कर सकती है। समिति का कोई भी सदस्य समिति का कर्मचारी नहीं होगा।
(ड़) समिति अपनी निधियों का किसी भी अंश का निवेश और जमा विधि के प्रावधानों के अधीन कर सकती है यथा-
- अचल सम्पत्ति में
- राज्य सरकार, केंद्र सरकार की प्रतिभूति में या एनएससी आदि में
- डाकघर जमा खाते में
- किसी अनुसूचित बैंक/ राष्ट्रीकृत बैंक/ सहकारी समिति बैंक में आदि में।
वर्ष में एक बार पदाधिकारियों और कार्यकारिणी सदस्यों की सूची को संबंधित समिति पंजीयक के कार्यालय में जमा कराई जाएगी। जैसा की यह समिति पंजीकरण अधिनियम, 1860 की धारा चार के अनुसार आवश्यक है।
22. विघटन -अगर समिति के विघटन की आवश्यकता होती है तो ऐसा प्रयोज्य अधिनियम/नियमों में उल्लेखित प्रावधानों के अनुसार होगा और सारी सम्पत्ति का अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा में अंतिष्ठान होगा। समिति को दूसरी समिति में बदला, विस्तारित, अंतिष्ठित किया जा सकता है या समिति का साधारण सभा की मंजूरी के बाद विघटन किया जा सकता है, जो आम सभा की बैठक में समिति के कुल सदस्यों के कम से कम 3/5 सदस्यों के अनुमोदन से ही होगा। यह प्राधिकरण और विधि के अनुबंधों के अनुमोदन के अधीन होगा।
23. विधिक कार्यवाही -समिति अध्यक्ष के नाम से समिति पंजीकरण अधिनियम 1860 की धारा छह और पंजीयन प्राधिकारी पर लागू अन्य प्रावधानों के अनुसार वाद दायर कर सकती है और इस पर वाद दायर किया जा सकता है।
24. संशोधन -समिति के नाम, ज्ञापन, नियमों और विनियमों में संशोधन समिति पंजीकरण अधिनियम, 1860 की धारा 12 और 12क और पंजीकरण प्राधिकारी कार्यालय पर लागू अन्य प्रावधानों के अनुसार ही किसी भी समय किया जा सकेगा।
25. अधिनियम की प्रयोज्यता -इस समिति पर समिति पंजीकरण अधिनियम, 1860 की सभी धाराएं और पंजीकरण प्राधिकारी कार्यालय पर लागू अन्य प्रावधान लागू होंगे।
26. विविध -समिति सदस्यता पंजिका, बैलेंस सीट या खातों का विवरण, रोकड़ बही, खाता-बही, रसीद बुक, लेखा परीक्षण विवरण आदि के संबंध में सभी रिकार्ड रखेगी। कार्यवाही पंजिका में सभी बैठकों के ब्यौरे को दर्ज किया जाएगा और इनको अध्यक्ष और सचिव द्वारा हस्ताक्षरित किया जाएगा, हालांकि इन पदाधिकारियों की अनुपस्थिति में कार्यकारिणी द्वारा अन्य सदस्यों को हस्ताक्षर करने के लिए अधिकृत किया जा सकेगा। पूर्ववर्ती बैठक की कार्यवाही को अनुपालन के लिए उतरवर्ती बैठक में रखा जाएगा। प्रावधानों/उपविधियों के विरूद्ध पारित किया गया कोई भी प्रस्ताव अमान्य होगा। रिकार्ड पंजीकरण प्राधिकारी के निरीक्षण हेतु उपलब्ध होगा। समिति के खाते, विवरण और पंजिकाओं को अधिकृत दो पदाधिकारियों द्वारा सत्यापित और हस्ताक्षरित किया जाएगा। प्रावधानों के अनुसार रिपोर्ट, सूची, विवरण, प्रस्तावों और अन्य विवरणों की प्रति पंजीयन प्राधिकरण को देनी होगी। कार्यकारिणी किसी भी साधारण या विशेष उद्देश्य के लिए गठित की जाने वाली सलाहकार समिति, विशेषज्ञ समिति और उप-समिति का गठन, दायित्व, शक्ति, कार्य और कार्यकाल का निर्धारण करेगी। समिति का अध्यक्ष और महासचिव इन कमेटी के भी अध्यक्ष और महासचिव होंगे। किसी एक सदस्य को ऐसी उप-समिति का संयोजक नियुक्त किया जा सकता है। कोई भी सदस्य तब तक समिति या समिति की सम्पति को प्रशासनिक कार्यों या निधियों के प्रयोग से हुई हानि के लिए उत्तरदायी या व्यक्तिगत रूप से जिम्मेवार नहीं होगा जब तक की ऐसी हानि उसके इरातदन गलती, विश्वास भंग या सदोष उपेक्षा का परिणाम न हो। भारत में इस समय मौजूद कार्यकारिणी के सदस्यों के मध्य परिसंचरण के बाद कार्यकारिणी के सदस्यों के बहुमत द्वारा पास प्रस्ताव भी उसी तरह से प्रभावी और बाध्यकारी होगा जैसा की कार्यकारिणी की बैठक में पारित प्रस्ताव होगा। समिति अपनी आम सभा की बैठक के माध्यम से किसी भी, कितने भी व्यक्तियों या समितियों/संगठनों को प्रमुख संरक्षक, संरक्षक या संरक्षक पदनामित कर सकती है, जिनका कार्य समिति का मार्गदर्शन करना होगा।
अत्यावश्कता प्रमाण-पत्र : सत्यापित किया जाता है की यह समिति के नियमों और विनियमों का विशुद्ध प्रारूप है।
(अध्यक्ष) (महासचिव) (कोषाध्यक्ष)