लक्ष्य और उद्देश्य

जिन लक्ष्यों और उद्देश्यों के लिए समिति की स्थापना की गई है, वे अग्रलिखित हैं-
(01) गुरू जाम्भो जी की शिक्षाओं /उपदेशों / सिद्धांतों, सबदवाणी व जांभाणी साहित्य का प्रचार-प्रसार व प्रोन्नत करना।
(02) गुरू जांभो जी की पर्यावरण सम्बन्धी शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार के माध्यम से आम जन में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करना।
(03) जाम्भाणी साहित्य, पर्यावरण संबंधी नियमों और गुरु जम्भेश्वर जी की अन्य शिक्षाओं और उपदेशों से संबंधित संग्रहालयों, दीर्घाओं तथा अन्य कला के कार्य, चित्रकला और संग्रह की स्थापना, प्रबंधन, रखरखाव करना तथा इन्हें बढावा देना।
(04) जांभाणी पंथ परम्परा से सम्बन्धित प्रमुख धामो, तीर्थो, भण्डारों व साथरियों से सम्बन्धित सामग्री का संकलन, संपादन व प्रकाशन करना।
(05) गुरू जांभो जी की वाणी व जांभाणी साहित्य के अन्य भक्ति साहित्य से तुलनात्मक अध्ययन को बढ़ावा देना।
(06) जांभाणी साहित्य की पांडुलिपियां, पट्टों-परवानों, लिखतों, भाटों की बहियों, गजेटियरों आदि की खोज, संरक्षण, संकलन, संपादन व प्रकाशन करना।
(07) जांभाणी साहित्य की उत्कृष्ट कृतियों के लिए लेखकों को पुरस्कार, सम्मान और मान्यता देना (सम्मानित करना) तथा श्रेष्ठ जांभाणी साहित्यकारों को साहित्य सेवा के लिए सम्मानित करना।
(08) जांभाणी साहित्यकारों और विद्वानों में पारस्परिक समन्वय, विचार-विमर्श व सहयोग की अभिवृद्वि के लिए प्रयत्न करना।
(09) गुरू जांभों जी, जांभाणी साहित्य और संस्कृति से सम्बन्धित उच्च स्तरीय ग्रंथों, पत्र-पत्रिकाओं, बाल साहित्य, कोश, विश्वकोश, आधारभूत शब्दावली, ग्रंथ निर्देशिका, सर्वेक्षण व सूचीकरण आदि के सृजन व उचित मूल्य पर प्रकाशन की व्यवस्था करना तथा तत्संबंधी कार्य हेतु संस्थाओं और व्यक्तियों को सहायता देना।
(10) जांभाणी साहित्य से सम्बन्धित सम्मेलन, संगोष्ठियां परिसंवाद, सृजनतीर्थ, रचनापाठ, रचना शिविर, प्रदर्शनियां, भाषणमाला, कथा, सत्संग आदि के आयोजन की व्यवस्था करना तथा तदनिमित आर्थिक सहयोग देना।
(11) जांभाणी साहित्य एवं संस्कृति पर अनुसंधान को प्रोत्साहन देना।
(12) लोककथाएं/दंतकथाएं/भजन/लोकगीत और अन्य ऐसे ही मौखिक और लिखित जाम्भाणी साहित्य का संकलन, सम्पादन और प्रकाशन करना।
(13) जांभाणी साहित्य के प्रति रूचि बढाने के लिए विद्यालयों, महाविद्यालयों व राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर गुरू जंभेश्वर भगवान् के जीवन-दर्शन व जांभाणी साहित्य पर आधारित प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन करना तथा संस्कार शिविर आयोजित करना।
(14) जांभाणी साहित्य के प्रचार प्रसार हेतु देश के विभिन्न भागों में पुस्तकालयों की स्थापना करना, रख-रखाव करना तथा इस कार्य हेतु अन्य संस्थानों को सहयोग देना।
(15) भारत और विदेश में साहित्य व शिक्षा सम्बन्धी संस्थानों की स्थापना, प्रबंधन और रखरखाव करना तथा समिति के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए उन्हें वित्तीय सहायता और अन्य सहयोग प्रदान करना।
(16) समिति के उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु जाम्भाणी साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों के लिए पुरस्कारों/छात्रवृत्तियों और वित्तीय सहायता की व्यवस्था करना और देना।
(17) समिति के उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु लेखकों, प्रकाशकों और अन्य सहयोगी व्यक्तियों व संस्थानों के लिए समुचित अवसरों की व्यवस्था करना और उन्हें बढावा देना।
(18) गुरू जांभो जी की शिक्षाओं और जांभाणी साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए दृश्य-श्रव्य मीडिया, इंटरनेट, डाक्युमैंट्री और ऐसे ही अन्य आधुनिक मीडिया के प्रयोग को बढ़ावा देना।
(19) गुरू जांभो जी के सिद्वान्तों व जाम्भाणी साहित्य के प्रचार-प्रसार में लगी ऐसी समितियों, एजेंसियों, संस्थाओं, संगठनों और गैर सरकारी संगठनों को सहायता प्रदान करना जो जाम्भाणी साहित्य अकादमी के उद्देश्यों और लक्ष्यों की पूर्ति में सहायक है या बढावा दे रही है।
(20) समिति के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए पुस्तकों की बिक्री, दान, अनुदान, शुल्क या किसी अन्य रूप में सहायता और सहयोग राशि प्राप्त करना।
(21) अगर जरूरी हो तो समिति के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए चल या अचल सम्पति को खरीदना, बेचना, भवन बनाना, लीज पर देना, या फिर विनिमय या लाइसेंस करना तथा किराए पर देना या फिर किसी चल या अचल सम्पत्ति का अधिग्रहण करना, बेचना या अगर आवश्यक हो तो समिति के किसी हित, अधिकार, विशेषाधिकार का अधिग्रहण करना या बेचना या समिति की किसी चल या अचल सम्पति में परिवर्तन करना और उसे ग्रहण करना तथा ऐसी ही अन्य गतिविधियां जो समिति के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए आवश्यक है, का निष्पादन करना।
(22) समिति के कार्य निष्पादन के लिए विधियां, सिद्धांत और नियमों का निर्माण करना और उन्हें क्रियान्वित करना।
(23) उपर्युक्त उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु विधिसम्मत कार्य, विलेख और कार्य करना, जो अनुकूल हैं।
(24) सबदवाणी, जाम्भाणी साहित्य और गुरु जम्भेश्वर जी के जीवन चरित्र और सिद्धांतों के बारे में किसी पुस्तक, शोध-पत्र या किसी अन्य रूप में प्रकाशित असत्य, आधारहीन, भ्रमित तथा विवादित तथ्यों का प्रसंज्ञान लेना और उस पर आवश्यक कार्यवाही करना।
(25) आवश्यकतानुसार जाम्भाणी साहित्यकार कल्याण कोष की स्थापना करना और उसका रखरखाव करना।
(26) आमजन में जाम्भाणी साहित्य और शब्दवाणी के प्रति रुचि पैदा करने के लिए पाठक क्लब और ऐसे ही अन्य संगठनों की स्थापना करना।
(27) जम्भवाणी व जाम्भाणी साहित्य के अन्य भाषाओं में अनुवाद को बढावा देना।
(28) पर्यावरण संरक्षण, जीव रक्षा, समाज सेवा, समाज सुधार व धर्म प्रचार के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को सम्मानित करना व मान्यता प्रदान करना।
(29) समिति के उद्देश्यो को आगे बढ़ाने के लिए अन्य समुचित गतिविधियों का संचालन करना।

समिति की सारी आय, कमाई, चल और अचल सम्पति का उपयोग और दोहन केवल समिति के ज्ञापन पत्र में उल्लेखित उद्देश्यों के लिए होगा और समिति के वर्तमान या भूतपूर्व सदस्यों को किसी भी तरह का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष लाभ नहीं दिया जाएगा और यह न ही किसी ऐसे व्यक्ति को देय होगा जो वर्तमान या भूतपूर्व सदस्य के मार्फत इनकी मांग करेगा। किसी भी सदस्य को समिति की किसी चल या अचल सम्पति पर व्यक्तिगत अधिकार जताने का हक नहीं होगा और न ही उसे समिति का सदस्य होने के नाते इनसे लाभ कमाने का अधिकार होगा।



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प्रो.(डॉ.) इन्द्रा बिश्नोई,      श्री विनोद जम्भ्दास,         डॉ. भंवरलाल बिश्नोई,
अध्यक्ष                           महासचिव                     कोषाध्यक्ष

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